मैंने क्या लिखा सब इस कलम ने लिखा।दास्तान ए इश्क़ ग़ज़ल।maine kya likha sab is kalam ne likha।

मैंने क्या लिखा सब इस कलम ने लिखा।

मैंने क्या लिखा सब इस कलम ने लिखा।
दोस्तों आपका स्वागत है।आज के इस खास ग़ज़ल में।आज मै आपके लिए कुछ खास ग़ज़ल लेकर आया हूं।तो आप पढ़ते रहे इस पोस्ट को।

इश्क़ भी कितना अजीब चीज़ है ना दोस्तों।कभी खुद को तो कभी तकदीर को कोसता है।लेकिन आपको इस ग़ज़ल में कुछ अलग दिखेगा।

इस ग़ज़ल में एक आशिक अपने कलम के बारे में कुछ इस तरह का लफ्ज़ कहता है।जो आपको इस ग़ज़ल में मिलेगा।


मैंने क्या लिखा,
सब इस कलम ने लिखा।।

कातिल को महबूब लिखा,
बुरे वक़्त को तकदीर लिखा।
प्यार को तोहफा लिखा,
जहर को शहद लिखा।

मैंने क्या लिखा,
सब इस कलम ने लिखा।।

दुश्मनों को दोस्त लिखा,
शक को गलतफहमी लिखा।
मिला जख्म तो दवा लिखा,
काटों को गुलाब लिखा।

मैंने क्या लिखा,
सब इस कलम ने लिखा।

ख़्वाब को सच लिखा,
जो सोचा उसे गलत लिखा।
मिली बददुआ को दुआ लिखा,
हर कोड़े कागज पर उनका नाम लिखा।

मैंने क्या लिखा,
सब इस कलम ने लिखा।

दर्द को प्यार लिखा,
मयुष चेहरे पर उम्मीद लिखा।
टूटी ख्वाब तो आयना लिखा,
बर्बाद हुआ तो मुकद्दर लिखा।

मैंने क्या लिखा,
सब इस कलम ने लिखा।

By Manish Dev


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आपका भाई मनीष देव 




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